MY BELGAUM CHEMISTS
Monday, September 24, 2012
मेरोपेनम लगे 68 मरीजों की हुई एमजीएच में मौत
जोधपुर.शहर में नकली मेरोपेनम इंजेक्शन का कारोबार अक्टूबर 2010 में शुरू हुआ था। इस मामले के खुलासे के बावजूद अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि आखिरकार कितने लोग नकली इंजेक्शन की वजह से मौत का ग्रास बने। पुलिस की मांग पर एमजीएच के खंगाले गए रिकॉर्ड में सामने आया है कि इस अवधि में अस्पताल में कुल 392 मरीजों को मेरोपेनम इंजेक्शन लगे। इनमें से 68 मरीजों की मौत हुई थी। इनमें पांच मरीज बीपीएल श्रेणी के थे, जिन्होंने उपचार के दौरान दम तोड़ा था।
हालांकि अभी यह नहीं कहा जा सकता कि इन सभी रोगियों को नकली मेरोपेनम इंजेक्शन लगे थे, लेकिन बीपीएल श्रेणी के पांच रोगियों को नकली इंजेक्शन लगाए जाने की आशंका है। इसका कारण अस्पताल में बीपीएल काउंटर के लिए भगवती एंटरप्राइजेज ने ही मेरोपेनम इंजेक्शन की सप्लाई की थी।
पुलिस करवा सकती है पड़ताल :
पुलिस डॉक्टरों से यह जान चुकी है कि मेरोपेनम इंजेक्शन जीवन रक्षक मेडिसिन है। ऐसे में अब पुलिस चाहे तो इन मरने वालों के रिकॉर्ड से यह पड़ताल करवा सकती है कि इन रोगियों को मेरोपेनम की आवश्यकता थी या नहीं।
अगर उन्हें सही मेरोपेनम मिल जाता तो शायद उनकी जान बच जाती। यह बात पहले ही सामने आ चुकी है कि इस मामले से जुड़े आरोपियों ने मेरोपेनम की जगह सस्ते एंटीबायोटिक काम में लिए थे, जो मरीज को फायदा नहीं पहुंचा सकते।
बिल व इंडेंट की जांच भी जरूरी
मरने वालों की सूची के आधार पर पुलिस उन तारीखों में लाइफ लाइन स्टोर, को-ऑपरेटिव के रिकार्ड निकलवा सकती है कि उन्हें कौन से इंजेक्शन दिए गए थे। दवा के बिल में मरीज का नाम अनिवार्य रूप से लिखा जाता रहा है। इसके अलावा बीपीएल मरीजों के नाम की पड़ताल बीपीएल काउंटर से जारी इंडेंट से की जा सकती है।
2010 में फिमेल सर्जिकल वार्ड में शांति, 2011 में 14 अगस्त को मधु पत्नी जिया राम, 9 मार्च को अब्दुल करीम पुत्र हाजी की, 2012 में 21 जुलाई को रहमत पत्नी साबिर व 28 मई को उमराव पत्नी दिनेश की मृत्यु हुई थी। ये सभी बीपीएल श्रेणी के मरीज थे।
कब कितनी मौतें
2010 में 10
2011 में 37
2012 में 21
क्या था मामला
इस वर्ष 26 मई को पुलिस ने जालोरी गेट स्थित नाकोड़ा मेडिकोज पर छापा मारकर मेरोपेनम साल्ट के मेरोसिडी व मेरोसुल इंजेक्शन जब्त किए थे। औषधि नियंत्रण विभाग की रिपोर्ट में ये इंजेक्शन नकली पाए गए। इनमें मेरोपेनम नहीं पाया गया। इसके बाद पुलिस ने इसकी खरीद फरोख्त से जुड़े लोगों की गिरफ्तारियां शुरू कीं।
पुलिस ने एमजीएच व एमडीएमएच से मेरोसिडी व मेरोसूल ब्रांड के इंजेक्शन लिखने की जानकारी मांगी थी। लेकिन रिकार्ड में केवल मेरोपेनम ही लिखा सामने आया था। जांच में मामले के दौरान ही पुलिस ने नकली के संदेह पर हायर एंटीबायोटिक सेलोपेन व कोप्लान इंजेक्शन के नमूने जांच के लिए भेजे। जिनकी रिपोर्ट आना बाकी है।
इनका कहना है
पुलिस ने जो रिकार्ड मांगा था, उसमें 392 रोगियों के मेरोपेमन इंजेक्शन लगना सामने आया था। इनमें 68 की मृत्यु हुई है।
डॉ. पीसी व्यास, अधीक्षक एमजीएच
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment