जयपुर. एसएमएस अस्पताल के लाइफ लाइन स्टोर से खरीदा गया किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीज को दिए जाने वाला एक लाइफ सेविंग इंजेक्शन खाली निकला। डॉक्टरों की मानें तो इंजेक्शन की अधूरी डोज मरीज की किडनी के लिए गंभीर खतरा हो सकती थी।
कुछ समय पहले ही जनाना अस्पताल के लाइफ लाइन स्टोर में भी ग्लूकोज की बोतल में फंगस का मामला सामने आया था। एसएमएस अस्पताल के नेफ्रोलॉजी वार्ड में भर्ती गंगानगर निवासी ओमप्रकाश सुथार ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट के बाद क्रिएटिनीन के लिए गुरुवार को लाइफ लाइन फ्लुड स्टोर से इंजेक्शन खरीदा था। नर्स जब उसे लगाने आई तो पता चला कि उसमें दवा ही नहीं थी। परिजनों ने बताया कि स्टोर वाले ने इंजेक्शन बदला भी नहीं।
ये हो सकते हैं कारण: सहायक औषधि नियंत्रक अजय जैन ( नकली दवा नियंत्रक प्रकोष्ठ) के अनुसार किसी भी दवा के खराब होने में रखरखाव, लैबलिंग, पैकेजिंग एवं मिलाए जाने वाले तत्वों की अहम भूमिका है।
पैकेजिंग: किसी भी दवा निर्माता कंपनी को यूनिफोर्मेमिटी ऑफ कंटेनर कंटेंट के तहत ब्लीस्टर पैक, स्ट्रिप, इंजेक्टेबल, एंपुल, वायल या बोटल आदि की जांच करना जरूरी है। पैकेजिंग में अच्छी क्वालिटी का पेपर काम में लेना चाहिए।
रख-रखाव: उचित तापमान पर नहीं रखने, स्टोर या दवा रखे जाने वाला स्थान नियमानुसार होना चाहिए। साथ ही दवा का स्टोरेज दवा के अनुसार होना जरूरी है।
गुणवत्ता: दवा में मिलाए जाने वाले विभिन्न के तत्वों की उचित मात्रा नहीं होने पर दवा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
इंजेक्शन में दवा नहीं मिलना गंभीर मामला है। इसकी जांच कराई जाएगी। जिसकी गलती सामने आएगी, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। - डॉ.ए.चौगले, लाइफ लाइन स्टोर इंचार्ज
इंजेक्शन में इस तरह की चूक से मरीज की जान को भी खतरा हो सकता है। ऐसे में हम जांच कराएंगे। अगर कंपनी की गलती रही तो उस पर और अगर स्टोर में रख-रखाव की गलती रही तो उसपर कार्रवाई करेंगे। - डा. एलसी शर्मा, अधीक्षक, एसएमएस अस्पताल
कुछ समय पहले ही जनाना अस्पताल के लाइफ लाइन स्टोर में भी ग्लूकोज की बोतल में फंगस का मामला सामने आया था। एसएमएस अस्पताल के नेफ्रोलॉजी वार्ड में भर्ती गंगानगर निवासी ओमप्रकाश सुथार ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट के बाद क्रिएटिनीन के लिए गुरुवार को लाइफ लाइन फ्लुड स्टोर से इंजेक्शन खरीदा था। नर्स जब उसे लगाने आई तो पता चला कि उसमें दवा ही नहीं थी। परिजनों ने बताया कि स्टोर वाले ने इंजेक्शन बदला भी नहीं।
ये हो सकते हैं कारण: सहायक औषधि नियंत्रक अजय जैन ( नकली दवा नियंत्रक प्रकोष्ठ) के अनुसार किसी भी दवा के खराब होने में रखरखाव, लैबलिंग, पैकेजिंग एवं मिलाए जाने वाले तत्वों की अहम भूमिका है।
पैकेजिंग: किसी भी दवा निर्माता कंपनी को यूनिफोर्मेमिटी ऑफ कंटेनर कंटेंट के तहत ब्लीस्टर पैक, स्ट्रिप, इंजेक्टेबल, एंपुल, वायल या बोटल आदि की जांच करना जरूरी है। पैकेजिंग में अच्छी क्वालिटी का पेपर काम में लेना चाहिए।
रख-रखाव: उचित तापमान पर नहीं रखने, स्टोर या दवा रखे जाने वाला स्थान नियमानुसार होना चाहिए। साथ ही दवा का स्टोरेज दवा के अनुसार होना जरूरी है।
गुणवत्ता: दवा में मिलाए जाने वाले विभिन्न के तत्वों की उचित मात्रा नहीं होने पर दवा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
इंजेक्शन में दवा नहीं मिलना गंभीर मामला है। इसकी जांच कराई जाएगी। जिसकी गलती सामने आएगी, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। - डॉ.ए.चौगले, लाइफ लाइन स्टोर इंचार्ज
इंजेक्शन में इस तरह की चूक से मरीज की जान को भी खतरा हो सकता है। ऐसे में हम जांच कराएंगे। अगर कंपनी की गलती रही तो उस पर और अगर स्टोर में रख-रखाव की गलती रही तो उसपर कार्रवाई करेंगे। - डा. एलसी शर्मा, अधीक्षक, एसएमएस अस्पताल
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